आज हर व्यक्ति जीवन जीने की असली सच्चाई से अनभिज्ञ है। अधिकतर लोगों ने जीवन मतलब मात्र खाना, पीना, सोना, कमाना, घर बार बसाना ही मान रखा है, जबकि जीवन इसका नाम नहीं है। जीवन परमेश्वर ने हमें एक विशेष लक्ष्य, एक असाधारण प्रयोजन देने के लिए दिया था – मोक्ष, अर्थात् जन्म-मरण से पूर्ण मुक्ति। यह चौंकाने वाली सच्चाई अधिकतर लोगों तक नहीं पहुंच पाती, क्योंकि अधिकतर साधु-संत, धर्मगुरु, आचार्य इसका असली मार्ग लोगों तक नहीं पहुंचा रहे। इसका मुख्य कारण यह है कि अधिकतर ने शास्त्रों का असली ज्ञान ही नहीं किया, या फिर उनके भीतर अहंकार आया हुआ है, जिसके कारण साधुओं ने परमेश्वर की असली विधि लोगों तक नहीं पहुंचाई।
जगद्गुरु संत Rampal जी महाराज जी ने शास्त्राधारित साधना प्रदान किया, जो साधना साधुओं ने लोगों से छिपाकर रखा हुआ था। उदाहरणार्थ, भगवद् गीता, वेद, पुराण, साध-संतों की वाणियों, जैसे – संत गरीबदास जी, नामदेव जी, घिसादास जी इत्यादि ने साफ किया कि पूर्ण परमेश्वर कौन है, साधना विधि कैसी है, जीवन का असली लक्ष्य परमेश्वर की शरण ग्रहण करना ही है, तभी हमारा जीवन सफल होगा।
चौंकाने वाली सच्चाई यह है कि अधिकतर साधु, पंडित, धर्मगुरु शास्त्रों का असली अर्थ नहीं बता रहे, जबकि शास्त्र साफ कहते हैंः
➥ पूर्ण परमेश्वर वही है, जो सृष्टि की रचना करता है, पालन करता है, और फिर एक तय आदेश पर इसका संहार भी करता है।
➥ वही परमेश्वर जीवात्माओं का असली पालनहार है, वही उनके सुख-दुख, जीवन-मरण पर नियंत्रण रखने वाली परम शक्ति है।
➥ वही जीवन-मुक्ति या मोक्ष प्रदान करता है, वही साधकों के सभी दर्द मिटाकर उन्हें शांति देता है।
जगद्गुरु संत Rampal जी महाराज जी ने शास्त्रों, साधुओं, ऋषियों, सूफियों, भगतों, गुरुओं की वाणियों से इसका प्रमाण दिया है। उदाहरणः वेद कहते हैं – “कविर्देव ही सर्वोपरि परमेश्वर है।” गरीबदास जी ने भी किया – “कविर परमेश्वर आया, आया जगत मांही।” इसका अर्थ यह हुआ कि वही परमेश्वर स्वयं आया था, एक साधु रूप में, एक मार्गदर्शक रूप में, लोगों का कल्याण करवाने आया था।
आज वही परमेश्वर, वही कविर्देव, संत Rampal जी महाराज जी रूप में हम लोगों के मध्य आया हुआ है, शास्त्राधारित साधना देने आया हुआ है, जीवन जीने की असली प्रेरणा देने आया हुआ है, ताकि हम सभी जन्म-मरण, चौरासी लाख योनि, नरक, भूत-प्रेत इत्यादि से मुक्त होकर शाश्वत शांति – सतलोक पहुंच सकें।
चौंकाने वाली बात यह भी है कि अधिकतर साधु यह ज्ञान लोगों तक नहीं पहुंचा रहे, इसका मुख्य कारण उनके भीतर अज्ञान, अहंकार, लोकप्रियता या फिर धन-मोही मानसिकता है। लोगों ने शास्त्र छोड़ दिया, साधुओं ने शास्त्रों की जगह परंपरा, रूढ़ियों, आडम्बर फैलाकर साधना मार्ग ही बदल दिया। इसका परिणाम हुआ – जीवन अधिकतर लोगों का व्यर्थ हुआ, साधना असफल रही, मोक्ष नहीं हुआ, शांति नहीं आई।
परन्तु अब परमेश्वर ने स्वयं आकर साधुओं की असलियत खोल दी, शास्त्राधारित साधना प्रदान किया, जीवन जीने की असली प्रेरणा दी, तभी असंख्य लोगों ने उनके मार्ग पर चलते हुए सुख, शांति, मोक्ष पाया।
यदि हम शास्त्राधारित साधना अपनाकर, साधुओं की असली भूमिका पहचाकर, उनके मार्गदर्शन से साधना करेंगे, तभी जीवन सफल होगा, तभी चौरासी लाख योनि, बार-बार गर्भ-गृह में आना-जाना समाप्त होगा, तभी हम शाश्वत शांति या परम शांति पा सकेंगे।
चौंकाने वाली यह सच्चाई अधिकतर लोगों तक नहीं पहुंच पाती, परन्तु अब आप तक पहुंच चुकी है। इसका लाभ तभी होगा, जब आप इसका पालन करेंगे, शास्त्राधारित साधना अपनाकर जीवन सुधारने का प्रयास करेंगे।
जय परमेश्वर! जय साधना मार्ग दर्शक जगद्गुरु संत Rampal जी महाराज जी!
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