जब संकट आता है तब भगवान को पुकारते हैं, तो पहले ही क्यों न भगवान की किताब ले लें? – संत रामपाल जी महाराज जी का संदेश

 

भूमिका

आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में हर कोई अपने-अपने कामों में व्यस्त है। किसी को नौकरी का टेंशन है, कोई बिज़नेस में उलझा है, और किसी को पारिवारिक जिम्मेदारियों ने घेरा हुआ है। ऐसे में जब कोई भक्त उन्हें ईश्वर की किताब देता है तो वे कहते हैं – "मेरे पास पढ़ने का समय नहीं है!" लेकिन वही लोग जब किसी गंभीर बीमारी में अस्पताल में पहुँचते हैं या कोई आपदा आती है, तो तुरंत भगवान को याद करने लगते हैं।

तो प्रश्न उठता है – जब संकट में भगवान को पुकारना ही है, तो पहले ही क्यों न उनकी किताब ले ली जाए और सच्चे भक्ति मार्ग पर चलना शुरू कर दें? यही संदेश दे रहे हैं आज के तत्वदर्शी संत – जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी।


समय नहीं है – बहाना या अज्ञान?

जब संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य किसी को ज्ञान गंगा, जीने की राह, या भक्ति बोध जैसी निःशुल्क आध्यात्मिक किताबें देने जाते हैं, तो बहुत से लोग कहते हैं – "मेरे पास पढ़ने का समय नहीं है।" लेकिन वे सोशल मीडिया पर घंटों स्क्रोल करते हैं, वेब सीरीज़ binge-watch करते हैं, गपशप करते हैं, और दुनियावी बातों में उलझे रहते हैं।

संत रामपाल जी महाराज जी कहते हैं, "जो मनुष्य यह कहता है कि मेरे पास भक्ति के लिए समय नहीं है, उसे एक दिन भगवान के सामने समय देना ही पड़ेगा – पर उस दिन पछताने के अलावा कुछ हाथ नहीं आएगा।"


जब संकट आता है, तब भगवान याद आते हैं

जिस समय कोई गंभीर बीमारी हो जाती है, एक्सीडेंट हो जाता है, या कोई अपना ICU में पहुँच जाता है – तब वही लोग रो-रो कर कहते हैं – "हे भगवान! मुझे बचा लो!"

लेकिन तब बहुत देर हो चुकी होती है। डॉक्टर जवाब दे चुके होते हैं, धन व्यर्थ हो चुका होता है, और आदमी बिल्कुल असहाय हो जाता है। ऐसे में यदि पहले से ही सही साधना और तत्वज्ञान ले लिया होता, तो यह दिन देखना ही न पड़ता।

संत जी कहते हैं, "सच्ची भक्ति वो होती है जो समय रहते शुरू की जाए – न कि तब जब प्राण शरीर छोड़ने को तैयार हों।"


क्या है यह 'पुस्तक सेवा'?

संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य घर-घर जाकर लोगों को भगवान की ओर प्रेरित करते हैं। वे निःशुल्क पवित्र किताबें जैसे –
📖 ज्ञान गंगा,
📖 जीने की राह,
📖 भक्ति बोध,
📖 सत्संगी जीवन
बांटते हैं ताकि आम जनता इस भ्रांति से बाहर निकल सके कि जो हम पूजा कर रहे हैं, वह सही है।

यह सेवा केवल प्रचार नहीं है — यह परमात्मा का बुलावा है, सतलोक की ओर आपका पहला कदम है।


भगवान की किताब – संकट से पहले समाधान

हम हर बड़ी बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाते हैं। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि हमारे कर्मों की बीमारियों का इलाज क्या है?

उत्तर है — भगवान की किताब और सच्चे संत की शरण।

इन किताबों से:

  • जीवन का उद्देश्य पता चलता है,

  • सच्चे नाम की जानकारी मिलती है,

  • मौत और जन्म के चक्र से मुक्ति का रास्ता मिलता है।

"यह किताबें जीवन की गारंटी कार्ड हैं – जो समय पर ले ली जाएं तो संकट पास नहीं आता।"


सच्ची घटनाएँ: जिनकी ज़िंदगी किताब सेवा से बदली

✅ घटना 1: कैंसर से मुक्ति

एक व्यक्ति जिसे पहले किताब लेने में कोई दिलचस्पी नहीं थी, कैंसर से ग्रसित हो गया। जब अस्पताल में इलाज नहीं चला, तो उसी ने ज्ञान गंगा पढ़ी और आश्रम से नाम दीक्षा ली। कुछ ही महीनों में उसकी रिपोर्ट्स सामान्य हो गईं।

✅ घटना 2: आत्महत्या का विचार बदला

एक महिला जो पारिवारिक क्लेशों से तंग आकर आत्महत्या का विचार कर रही थी, उसने 'जीने की राह' किताब का कुछ हिस्सा पढ़ा। उसमें बताए गए जीवन ज्ञान ने उसकी सोच ही बदल दी। आज वो और उसका पूरा परिवार भक्त बनकर सुखमय जीवन जी रहा है।


संत रामपाल जी महाराज का संदेश

"आज परमात्मा स्वयं आपको बुला रहे हैं अपनी किताबों के माध्यम से। कल यही किताबें गवाही देंगी जब यमराज आएंगे।"

"भक्ति का सही समय तब है जब शरीर स्वस्थ हो, समय हो और विवेक हो। मृत्यु शैया पर भक्ति करने से संपूर्ण लाभ नहीं मिलता।"


इन किताबों से क्या सीख मिलती है?

  1. परमात्मा कौन हैं?

    • कबीर साहेब जी ही सृष्टिकर्ता हैं – यह प्रमाण वेदों, गीता और पुराणों से सिद्ध है।

  2. सही भक्ति क्या है?

    • टीवी और अखबारों के गुरु नहीं, बल्कि तत्वदर्शी संत से ली गई दीक्षा ही मोक्षदायक है।

  3. गलत साधना का परिणाम क्या है?

    • ग़लत मंत्र और नकली गुरुओं से की गई पूजा व्यर्थ है – यह गीता अध्याय 16, श्लोक 23–24 से प्रमाणित है।


किताब ठुकराने का अंजाम

जो व्यक्ति आज परमात्मा की बातों को सुनने और पढ़ने से मना करता है, कल को:

  • नरक की पीड़ा झेलेगा,

  • भयानक योनियों में जन्म लेगा,

  • जीवन में बार-बार दुख और दुर्घटनाओं का सामना करेगा।

"आज जिस किताब को आप समय का बहाना बनाकर ठुकरा रहे हैं, कल वही किताब रो-रोकर याद आएगी।"


यह अवसर बार-बार नहीं आता

कितनी बार ऐसा होता है कि कोई आपको बिना पैसे के वह किताब दे रहा हो जिसमें:

  • परमात्मा से मिलने का रास्ता हो,

  • जीवन के सारे संकटों का समाधान हो,

  • मृत्यु के बाद का भविष्य लिखा हो?

आज यदि आपको ये किताबें मिल रही हैं – तो यह भाग्य का संकेत है। इसे पहचानिए और छोड़िए नहीं।


पढ़ने से आप भगवान पर एहसान नहीं कर रहे

कुछ लोग सोचते हैं कि वे यह किताब लेकर भगवान पर कोई उपकार कर रहे हैं। लेकिन सच्चाई यह है:

  • आप अपने जीवन को बचा रहे हैं,

  • अपने आत्मा का कल्याण कर रहे हैं,

  • सतलोक जैसे सुखमय स्थान की ओर बढ़ रहे हैं।

"सत्य ज्ञान से विमुख होना आत्मा के लिए आत्मघात है।"


अभी उठाइए पहला कदम

यदि आप यह लेख पढ़ रहे हैं, तो यह आपके लिए ईश्वर का बुलावा है।

अभी क्या करें?

  1. ज्ञान गंगा, जीने की राह, भक्ति बोध आदि किताबें लें (या वेबसाइट www.jagatgururampalji.org से डाउनलोड करें)।

  2. प्रतिदिन 15-20 मिनट इन किताबों को पढ़ें।

  3. संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लें और साधना शुरू करें।

  4. रोज़ाना सत्संग देखें – टीवी, यूट्यूब, या मोबाइल एप्स पर उपलब्ध हैं।

  5. यह ज्ञान अपने परिवार और मित्रों को भी दें।


निष्कर्ष

जैसे हम आग लगने के बाद पानी नहीं ढूंढते, उसी प्रकार जीवन संकट में आ जाए तब भगवान को याद करना व्यर्थ है।

भगवान पहले ही आपके पास अपनी किताब भेज चुके हैं — उसे स्वीकार कीजिए, पढ़िए, और जीवन का उद्धार कीजिए।

"आज जब आप चल-फिर सकते हैं, सोच सकते हैं, समझ सकते हैं – यही समय है भगवान को अपनाने का।"

"कल जब मृत्यु सामने खड़ी होगी, तब पश्चाताप के अलावा कुछ शेष नहीं होगा।"


📢 बंदी छोड़ जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो!

📖 अब किताब नहीं, प्रमाण बोलेंगे – और वही प्रमाण आपको मुक्ति देंगे!

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