जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान पर आधारित
जब हम अपने जीवन को देखते हैं, तो पाते हैं कि हम हर चीज़ के लिए समय निकालते हैं – नौकरी, परिवार, मनोरंजन, पैसे कमाना – लेकिन ईश्वर की भक्ति के लिए "समय नहीं है"। इसी सबसे बड़ी भूल को परमेश्वर कबीर जी ने एक पंक्ति में स्पष्ट कर दिया:
"कल करे सो आज कर, आज करे सो अब,
पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगा कब?"
अर्थात् – जो कार्य आप कल करना चाहते हैं, उसे आज कर लीजिए, और जो आज करना चाहते हैं, उसे अभी कर लीजिए। क्या पता अगले ही पल प्रलय हो जाए (मृत्यु आ जाए), तब क्या करोगे?
मानव जीवन का उद्देश्य क्या है?
जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि मानव जीवन केवल मोक्ष प्राप्त करने के लिए है, बाकी सभी कार्य – धन कमाना, परिवार बसाना, समाज सेवा – ये सब भक्ति के बाद आते हैं।
हमारे पास समय बहुत कम है, और मृत्यु निश्चित है। कबीर परमेश्वर जी ने हमें यह चेतावनी दी है कि –
"जो तू करै सो अब कर, और बेरा मत खोय।
जब सिर पर प्रलय पड़े, फिर पश्चाताप न होय।"
कबीर साहिब कौन हैं?
संत रामपाल जी महाराज ने वेदों, गीता, कुरान और बाइबिल से प्रमाण देकर सिद्ध किया है कि कबीर साहिब ही पूर्ण परमात्मा हैं, जो स्वयं पृथ्वी पर आकर अपने बच्चों को मोक्ष का मार्ग दिखाते हैं।
वे वही परम अक्षर ब्रह्म हैं जिनका वर्णन श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में किया गया है।
भक्ति में देरी क्यों करते हैं लोग?
लोगों के पास हर काम के लिए समय है, लेकिन भक्ति के लिए नहीं। देरी के प्रमुख कारण:
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परिवार की जिम्मेदारियाँ – “पहले बच्चों को बड़ा कर लूं…”
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भ्रांत धार्मिक मान्यताएँ – “हमारे पुरखों की पूजा ही सही है…”
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गलत गुरु – जो सत्य ज्ञान नहीं देते
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मृत्यु को हल्के में लेना – “अभी बहुत उम्र बाकी है…”
लेकिन कबीर परमेश्वर जी ने चेताया –
"जगत सोया मोह में, मरते बार न चेत।
कबीर चेतन होइ रहो, यह काल फंदा फेंट।"
"पल में प्रलय होएगी" – इसका गहरा अर्थ
इसका अर्थ है – मृत्यु कभी भी आ सकती है। वह आपकी उम्र नहीं देखती, न आपकी योजना।
जो व्यक्ति सोचता है कि मैं बुढ़ापे में भक्ति करूँगा, वह सबसे बड़ा मूर्ख है, क्योंकि भविष्य का कोई भरोसा नहीं।
संत रामपाल जी महाराज ने हजारों उदाहरण बताए हैं, जैसे:
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एक जवान लड़का जो कहता था कि "बाद में भक्ति करूँगा" – उसका अचानक एक्सीडेंट में निधन हो गया।
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एक महिला जिसने उसी दिन नाम दीक्षा ली और 10 साल पुराना कैंसर ठीक हो गया।
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शराबी और व्यसनी जिन्होंने तुरंत नाम लेकर भक्ति शुरू की और चमत्कारिक परिवर्तन देखा।
क्या कहती हैं पवित्र पुस्तकें?
🕉️ वेद:
ऋग्वेद मंडल 10, सूक्त 90 – परमात्मा का वर्णन एक पुरुष के रूप में किया गया है, जो स्वयं सृष्टि में आता है।
📖 श्रीमद्भगवद्गीता:
अध्याय 4 श्लोक 7–8 में श्रीकृष्ण कहते हैं कि जब-जब धर्म की हानि होती है, मैं आता हूँ।
लेकिन अध्याय 15 श्लोक 17 में बताया कि मुझसे ऊपर भी एक परम पुरुष है – वही परम अक्षर ब्रह्म यानी कबीर साहिब।
📜 कुरान शरीफ:
सूरा फ़ुरक़ान 25:52–59 – उस अल्लाह का वर्णन है जो पूरे ब्रह्मांड को 6 दिनों में बनाता है और 7वें दिन सिंहासन पर बैठता है। उसका नाम कबीर बताया गया है।
✝️ बाइबिल:
Job 36:5 – "Behold, God is mighty… Kabir." यानी ईश्वर का नाम कबीर है।
अब क्या करें?
संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि सत्य भक्ति करने के लिए आवश्यक है:
✅ एक तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा लेना
✅ सत्य मन्त्र (सतनाम और सारनाम) का जाप
✅ पाँच यम (नियम) का पालन
✅ नशा, मांसाहार, झूठ, गलत पूजा से परहेज़
✅ नित्य सत्संग सुनना
नाम दीक्षा नि:शुल्क दी जाती है, और इसका कोई दान, चढ़ावा नहीं लिया जाता।
कबीर जी के वचन – आज का अंतिम संदेश
"जैसा समय गंवाए तू, वैसा कोई नहीं मूर्ख।
सतगुरु द्वार पड़ा है, छोड़ दे मोह के जाल चूक।"
संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, यह जीवन बहुत कीमती है।
हर पल जो बिना भक्ति के बीत रहा है, वह आत्मा के लिए भारी नुकसान है।
"अब नहीं जागे तो फिर कब जागोगे?"
आज स्वयं परमात्मा संत रामपाल जी महाराज के रूप में आए हैं, क्या तुम अब भी नहीं पहचानोगे?
निष्कर्ष: अब नहीं तो कभी नहीं!
इस लेख का सार यही है:
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भक्ति में देरी नहीं करनी चाहिए।
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कल किसने देखा? आज भी पूरा नहीं है।
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भक्ति करने का सही समय अभी है – यही पल।
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कबीर साहिब और संत रामपाल जी महाराज द्वारा दिया गया सत्य ज्ञान ही मुक्ति का मार्ग है।
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अब भी समय है – नाम दीक्षा लें, सत्संग सुनें, और जीवन का उद्धार करें।
“पल में प्रलय हो जाए,
फिर भक्ति करने कब आए?”
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