जब जीवन में हर रास्ता बंद हो जाए, जब अपनों का साथ छूट जाए, जब कोई भी बात समझ न आए — तब कई लोग आत्महत्या को ही आखिरी विकल्प मान लेते हैं। लेकिन जो आत्मा परमात्मा की खोज कर लेती है, उसे कोई भी अंधेरा स्थायी नहीं लगता। यही प्रमाण है सच्चे सत्संग और भक्ति की शक्ति का।
एक युवक, जो पढ़ा-लिखा था लेकिन बेरोज़गारी, पारिवारिक कलह और टूटे हुए रिश्तों से इतना थक चुका था कि आत्महत्या का विचार उसका रोज़ का साथी बन गया था। वह अपने कमरे में घंटों अकेला बैठा रहता, मोबाइल बंद, खाना बंद, और मुस्कुराहट तो जैसे खो ही चुकी थी।
एक दिन यू-ट्यूब पर अचानक उसकी नज़र पड़ी संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग पर। वो वीडियो का टाइटल था – “आत्महत्या कोई समाधान नहीं, समाधान है सच्चा ज्ञान।”
शुरू में उसे विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जैसे-जैसे उसने सत्संग सुना – उसकी आँखों में आँसू आ गए। पहली बार उसे लगा कि कोई उसकी हालत को सच में समझता है।
संत रामपाल जी ने बताया:
"आत्महत्या करने से आत्मा को शांति नहीं मिलती, बल्कि और भी दुखदायी जन्मों का चक्र शुरू होता है।"
"मानव जीवन मोक्ष का साधन है, इसे यूँ नष्ट करना सबसे बड़ा अपराध है।"
इन शब्दों ने उस युवक को झकझोर दिया। उसने तुरंत नाम दीक्षा ली, सत्संग में नियमित हो गया, और सेवा में मन लगाने लगा।
अब वह आत्महत्या के बारे में सोचता भी नहीं, बल्कि दूसरों को जीवन का सही उद्देश्य समझाने में लगा है।
भक्ति ने उसे मरने नहीं दिया, जीने की असली वजह दे दी।
🙏 सत्संग से मिला समाधान:
आत्महत्या कोई समाधान नहीं – भक्ति से मिलता है मोक्ष
परमात्मा कभी अपने बच्चों को बेसहारा नहीं छोड़ताएक सच्चे संत की वाणी अंधेरे में दीपक का काम करती है
जो टूट चुका था – वही अब औरों का सहारा बन चुका है
📌 निष्कर्ष:
आत्महत्या का विचार एक कमजोर पल का परिणाम हो सकता है, लेकिन सतगुरु की शरण में आकर जीवन को एक नई दिशा दी जा सकती है।
अगर आप या आपका कोई अपना इस सोच में है, तो बस एक बार सच्चा सत्संग ज़रूर सुनाएं।
क्योंकि जीवन बदलने के लिए सिर्फ एक वचन ही काफी है।
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