प्रस्तावना
वर्तमान युग में विवाह समारोह एक दिखावे की प्रतियोगिता बन चुका है। घंटों नहीं, बल्कि कई-कई दिनों तक चलने वाले विवाह समारोह समाज में आर्थिक, मानसिक और शारीरिक तनाव का कारण बनते जा रहे हैं। इस अंधी परंपरा के बीच जब संत रामपाल जी महाराज द्वारा केवल 17 मिनट में विवाह कराने की पहल सामने आई, तो लोगों ने आश्चर्य के साथ-साथ संतोष भी अनुभव किया।
यह विवाह केवल समय की बचत नहीं है, बल्कि एक आध्यात्मिक रूप से शुद्ध और प्रमाणिक प्रक्रिया है जो समाज को सच्चे मार्ग की ओर ले जाती है। आइए जानें इस 17 मिनट के विवाह का महत्व, प्रक्रिया और इससे जुड़े वैज्ञानिक और धार्मिक प्रमाण।
समाज में व्याप्त विवाह की कुरीतियाँ
1. फिजूलखर्ची और दिखावा
आजकल के विवाह आयोजन महंगे होटल, कैटरिंग, बैंड, डीजे और फोटोग्राफ़ी जैसी चीज़ों पर लाखों रुपये खर्च करके किए जाते हैं। इससे कई परिवार कर्ज में डूब जाते हैं और पूरा जीवन उस कर्ज को चुकाने में चला जाता है।
2. दहेज प्रथा
दहेज को सामाजिक मान्यता मिलने के कारण, कई बेटियों को कोख में मार दिया जाता है, या शादी के बाद अत्याचार सहना पड़ता है।
3. पाखंड और अनावश्यक रीति-रिवाज
विवाह में अनेक रीति-रिवाज और पंडितों द्वारा करवाए गए कर्मकांड ऐसे होते हैं जिनका न तो कोई शास्त्रीय प्रमाण है और न ही कोई आध्यात्मिक लाभ।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा 17 मिनट में विवाह: एक नई शुरुआत
1. क्या है यह 17 मिनट का विवाह?
संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों द्वारा आयोजित विवाह समारोहों में मात्र 17 मिनट में वर-वधू का विवाह संपन्न कराया जाता है। यह विवाह पूर्णत: शास्त्रों के अनुसार, बिना किसी फिजूलखर्ची, बिना दहेज और बिना किसी जाति-पाति भेदभाव के सम्पन्न होता है।
2. इस विवाह की विशेषताएं
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🔹 शास्त्र आधारित विधि: यह विवाह श्रीमद्भगवद्गीता, वेद, पुराण और कबीर साहेब जी के वाणी पर आधारित होता है।
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🔹 बिना दहेज और दिखावे के: न बाजा, न बारात, न महंगे कपड़े – केवल सच्चा प्रेम और आध्यात्मिक उद्देश्य।
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🔹 समानता का प्रतीक: इस विवाह में न कोई ऊँच-नीच, न जात-पात। केवल मानव धर्म का पालन।
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🔹 गवाह होते हैं भगवान: विवाह स्थल पर भगवान की मौजूदगी के रूप में पवित्र सतगुरु की तस्वीर, पवित्र ग्रंथ और संकल्प।
विवाह की प्रक्रिया: कैसे होता है 17 मिनट में विवाह?
चरण 1: नाम दीक्षा और सतभक्ति स्वीकार
इस विवाह में केवल वही युवक-युवती विवाह कर सकते हैं जिन्होंने संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा ली हो और सच्चे मन से सतभक्ति अपना ली हो।
चरण 2: संकल्प
वर-वधू दोनों भगवान और गुरु को साक्षी मानकर जीवन भर एक-दूसरे के प्रति निष्ठावान रहने का वचन देते हैं।
चरण 3: सात नहीं, दो फेरे
इस विवाह में केवल दो फेरे होते हैं:
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पहला फेरा: गुरु को साक्षी मानते हुए एक-दूसरे के साथ धर्म-पथ पर चलने का संकल्प।
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दूसरा फेरा: सच्चे भगवान की भक्ति को जीवन का मुख्य उद्देश्य बनाने की प्रतिज्ञा।
चरण 4: गुरु वाणी और आशीर्वाद
इसके बाद सतगुरु की पवित्र वाणी पढ़ी जाती है और सत्संग के माध्यम से दोनों को आशीर्वाद दिया जाता है।
धार्मिक और शास्त्रीय प्रमाण
1. श्रीमद्भगवद्गीता में कर्मकांड की निंदा
भगवद्गीता अध्याय 16, श्लोक 23-24:
"जो मनमाना आचरण करते हैं, वे सिद्धि को प्राप्त नहीं होते।"
2. कबीर साहेब जी की वाणी
"धरम दुलाहा ले चला, सहज सेज बिछाय।
पाँच तत्त्व की कन्या ले, गुरु दरसन कराय।।"
यह वाणी स्पष्ट करती है कि सतगुरु के द्वारा करवाया गया विवाह ही सच्चा और परमात्मा को प्राप्त कराने वाला होता है।
समाज में सकारात्मक परिवर्तन
✔️ हजारों परिवारों में सुख-शांति
अब तक हजारों दंपतियों ने इस आध्यात्मिक विवाह को अपनाकर जीवन में सुख, संतोष और सच्चे धर्म की अनुभूति की है।
✔️ बेटियाँ बन गईं सम्मानित
जहाँ पहले बेटियों को बोझ समझा जाता था, अब वहीं संत रामपाल जी की प्रेरणा से दहेज रहित विवाहों में बेटियाँ गौरव बन रही हैं।
✔️ जात-पात का अंत
यह विवाह किसी भी धर्म, जाति या पंथ के बंधनों से मुक्त होता है – केवल "मनुष्य" ही पहचान होती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लाभ
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मानसिक तनाव नहीं
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खर्च का बोझ नहीं
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पारिवारिक कलह का अंत
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सामाजिक दबाव से मुक्ति
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आध्यात्मिक विकास की शुरुआत
संत रामपाल जी महाराज का संदेश
"विवाह एक धार्मिक कर्तव्य है, इसे दिखावे या व्यापार न बनाएं।
सच्चे विवाह वही हैं जो शास्त्रों और भगवान की आज्ञा से हों।"
संत रामपाल जी महाराज केवल 17 मिनट में विवाह कराते हैं, लेकिन वह विवाह जीवनभर के लिए स्थिर, शुभ और मोक्षदायक होता है। क्योंकि यह केवल शरीर का मेल नहीं, आत्मा का आध्यात्मिक संगम है।
निष्कर्ष
संत रामपाल जी महाराज द्वारा आरंभ की गई 17 मिनट की विवाह व्यवस्था केवल एक सामाजिक सुधार नहीं है, बल्कि यह एक अद्भुत आध्यात्मिक क्रांति है। यह व्यवस्था दिखावे, दहेज, जात-पात और पाखंड से मुक्त है – जो केवल सच्चे भक्ति मार्ग को अपनाने वालों के लिए है।
यदि आप भी चाहते हैं एक ऐसा जीवनसाथी जो केवल भौतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक यात्रा में भी सहभागी हो – तो इस शुद्ध, प्रमाणिक और शास्त्र-सम्मत 17 मिनट के विवाह को अपनाइए।
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