आज का इंसान नशे की जंजीरों में बुरी तरह जकड़ा हुआ है। चाहे वो शराब हो, सिगरेट, तंबाकू, गुटखा या अन्य किसी प्रकार का नशा — यह सिर्फ शरीर नहीं, आत्मा को भी खोखला कर देता है। लाख कोशिशों के बाद भी नशा नहीं छूटता, डॉक्टर भी हाथ खड़े कर देते हैं, परिवार वाले थक जाते हैं, लेकिन व्यक्ति खुद को असहाय महसूस करता है।
पर क्या आपने कभी सोचा है — सच्चे ज्ञान और सही मार्गदर्शन से नशा क्यों नहीं छूटता?
उत्तर सीधा और स्पष्ट है — क्योंकि आपकी भक्ति गलत है, और आप गलत गुरु की शरण में हैं।
🌿 भक्ति का असली उद्देश्य क्या है?
भक्ति का उद्देश्य केवल मंदिर जाना, घंटी बजाना या तिलक लगाना नहीं है। सच्ची भक्ति का उद्देश्य है जीवन में पवित्रता लाना, बुराइयों को छोड़ना और परमात्मा से जुड़ना। अगर कोई व्यक्ति वर्षों से पूजा-पाठ कर रहा है लेकिन उसका नशा नहीं छूट रहा, तो यह साफ संकेत है कि वह जिस भक्ति पद्धति को अपना रहा है, वह सही नहीं है।
🌟 कौन छुड़ा सकता है नशा?
सिर्फ एक तत्वदर्शी सतगुरु, जो शास्त्रों के अनुसार भक्ति विधि बताते हैं, वही व्यक्ति को अंदर से इतना मजबूत बनाते हैं कि नशे की लत छूट जाती है। आज के युग में संत रामपाल जी महाराज ऐसे ही एक सत्यगुरु हैं जिन्होंने लाखों लोगों को सिर्फ भक्ति से नशा मुक्त किया है — बिना कोई दवा, बिना किसी खर्च के।
📖 शास्त्र क्या कहते हैं?
भगवद गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में कहा गया है कि तत्वज्ञान के लिए तत्वदर्शी संत की शरण में जाओ। ऐसे संत ही आपको सच्चा ज्ञान देंगे जिससे आत्मा का कल्याण संभव है। और जब आत्मा में ज्ञान का प्रकाश होता है, तो वह अपने आप ही गंदगी (जैसे नशा) को त्याग देती है।
🔥 उदाहरण से समझें
हजारों अनुयायी जो संत रामपाल जी महाराज की शरण में आए, वे पहले भारी नशेड़ी थे। लेकिन जब उन्होंने सतगुरु द्वारा दिए गए सत्य नाम को जपना शुरू किया, तो उनके अंदर से नशे की प्रवृत्ति खुद-ब-खुद खत्म हो गई। यह किसी जादू से नहीं, बल्कि सतभक्ति की शक्ति से हुआ।
✅ निष्कर्ष
यदि आप भी सच्चे मन से नशा छोड़ना चाहते हैं, तो सबसे पहले एक तत्वदर्शी संत की पहचान करें और उनसे शास्त्र सम्मत भक्ति विधि को जानें। अन्यथा चाहे आप लाख कोशिश कर लें, नशा कभी नहीं छूटेगा।
👉 समाधान एक ही है — सच्चे संत की शरण, सही भक्ति का चयन।
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