संत की वाणी बनी मानसिक दवा

 



आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में हर इंसान कुछ न कुछ मानसिक तनाव से गुजर रहा है। चिंता, गुस्सा, अनिद्रा, आत्महत्या की प्रवृत्ति और अवसाद जैसे मानसिक रोग अब आम हो चुके हैं। लेकिन इनका असली इलाज केवल मनोचिकित्सक या दवाएं नहीं हैं – बल्कि एक संत की वाणी, जो आत्मा को झकझोर कर सच्चाई से जोड़ दे, वही असली दवा है।

ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है एक युवती की, जो लंबे समय से डिप्रेशन और घबराहट का शिकार थी। मन में अनगिनत सवाल थे – “मैं क्यों हूँ?”, “मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?”, “क्या मेरी ज़िंदगी का कोई मतलब है?” डॉक्टरों की दवाएं उसकी नींद तो लाती थीं, लेकिन उसकी आत्मा की बेचैनी दूर नहीं कर पाती थीं।

इसी बीच एक दिन यूट्यूब पर उसे संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग सुनने को मिला। पहले तो उसे लगा कि यह भी कोई और प्रवचन होगा, लेकिन जैसे-जैसे वह सुनती गई – उसके दिल और दिमाग में जो बवंडर था, वह धीरे-धीरे शांत होता गया।

संत जी ने कहा –

“मानव जीवन केवल खाने-कमाने के लिए नहीं मिला, बल्कि परमात्मा को जानने के लिए मिला है।”

यह बात जैसे सीधे उसके अंतरमन को छू गई।
“संत की वाणी” ने उस युवती को जीवन की सच्चाई समझाई।
उसे यह ज्ञान मिला कि असली सुख – पैसा, शोहरत या रिश्तों में नहीं, बल्कि सच्ची भक्ति और आत्मज्ञान में है।

उसने नामदीक्षा ली, नियमों का पालन शुरू किया, और हर दिन सत्संग सुनने लगी। अब दवाएं बंद हो चुकी हैं, डर खत्म हो चुका है और उसका जीवन सेवा और सच्चे प्रेम से भर चुका है।

📌 संत की वाणी ने उसे सिखाया:

तुम आत्मा हो, शरीर नहीं

जीवन केवल भोगने के लिए नहीं, मोक्ष के लिए है
हर समस्या का हल है – नाम स्मरण और सेवा
मन की अशांति का इलाज है – सत्संग

📖 निष्कर्ष

मानसिक बीमारी केवल शरीर की नहीं, आत्मा की भी होती है। और इसका इलाज कोई दवा नहीं, बल्कि संत की वाणी है।
जो ज्ञान परमात्मा तक पहुंचा दे, वही मानसिक रोगों की असली औषधि है।


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