आज हर व्यक्ति अधिकतर जीवनभर रुपये, धन, संपत्ति इकट्ठा करता रहता है। अधिकतर लोगों का लक्ष्य अधिक से अधिक कमाई करना ही होता है – कारें, घर, सुख-सुविधाएँ अर्जित करना ही जीवन की सफलता मान लिया गया है। लेकिन परमेश्वर ने हमें जीवन मात्र धन अर्जित करने या सुख एकत्र रखने के लिए नहीं दिया, इसका असली लक्ष्य परमेश्वर की शरण ग्रहण करना, साधना करना, मोक्ष की प्राप्ति करना और अधिक लोगों तक परमेश्वर का ज्ञान पहुंचाकर उनके जीवन सुधारने का प्रयास करना है।
जगद्गुरु संत रामपाल जी महाराज जी कहते हैं – “यह जीवन अनमोल है। इसका मुख्य लक्ष्य परमेश्वर की शरण ग्रहण करना, साधना करना और अधिक लोगों तक परमेश्वर का आदेश पहुंचाकर उनके जीवन का कल्याण करना है।”
आज अधिकतर लोगों ने जीवन का असली लक्ष्य भूल दिया है, इसलिए जीवनभर धन अर्जित किया, सुख सुविधाएँ जोड़ीं, पर भीतर शांति नहीं आई, जीवन असंतुलित ही रहे। इसका मुख्य कारण यह है कि जीवन परमेश्वर ने दिया साधना और परोपकार के लिए, लेकिन लोगों ने इसका उपयोग मात्र सांसारिक सुखों तक ही किया।
यदि हम एक साधु या परमेश्वर की प्रेरणा अधिक लोगों तक फैलाकर उनके जीवन सुधारने लगें, उनके भीतर साधना, भक्ति, परमेश्वर की शरण ग्रहण করার प्रेरणा जगाने लगें, तो इसका पुण्य अनंत होगा, इसका फल जीवनभर साथ रहेगा, यहाँ तक कि परलोक तक इसका सुख साथ जाएगा।
जगद्गुरु संत रामपाल जी महाराज जी ने साधना विधि शास्त्रों अनुसार दी है, उनके आदेश अनुसार साधना, नाम दीक्षा, सत्संग सुनने, शास्त्रानुसार जीवन जीने से असंख्य लोगों ने जीवन सुधार लिया, नशे छोड़ दिए, हिंसा त्याग दी, पराई स्त्रियों पर बुरी नजर डालना छोड़ दिया, माता-पिता की सेवा करना शुरू किया, एक आदर्श जीवन जीने लगे।
यह चमत्कार हुआ परमेश्वर की शरण ग्रहण करके, साधुओं या परमेश्वर की प्रेरणा अधिक लोगों तक फैलाकर, उनके जीवन सुधारने से। इसका फल इतना अधिक है कि इसका आकलन किया ही नहीं जा सकता। शास्त्र कहते हैं – एक साधु या परमेश्वर की प्रेरणा अधिक लोगों तक फैलाकर किया हुआ परोपकार असंख्य गायें देने या असंख्य यज्ञ करवाने से अधिक पुण्य देता है।
आज हर व्यक्ति सोशल मीडिया पर अधिकतर निरर्थक संदेश फैलाकर जीवन व्यर्थ करता हुआ नजर आता है, जबकि वही व्यक्ति साधुओं या परमेश्वर की प्रेरणा अधिक लोगों तक फैलाकर असंख्य जीवन सुधारने का कारक भी आसानी से वन सकता है। इसका फल शाश्वत होगा, इसका पुण्य जीवनभर साथ देगा, यहाँ तक कि मृत्यु बाद भी इसका लाभ मिलेगा।
जगद्गुरु संत रामपाल जी महाराज जी प्रेरणा देते हैं – “यदि एक व्यक्ति ने जीवन बदल दिया, साधना अपनाई, परमेश्वर की शरण आया, बुराई छोड़ दी, हिंसा त्याग दी, तो इसका पुण्य फैलाने वाले तक पहुंचेगा।” इसका मतलब हुआ एक साधु या परमेश्वर की प्रेरणा फैलाकर किया हुआ परोपकार अनंत लोगों तक फैलने वाली नेकी है।
संक्षिप्त रूप से, अधिक धन अर्जित करना अस्थाई है, जबकि साधुओं या परमेश्वर की प्रेरणा अधिक लोगों तक फैलाकर किया हुआ परोपकार शाश्वत है। इसका फल जीवनभर साथ रहेगा, यहाँ तक कि परलोक तक इसका लाभ मिलेगा।
अतः आओ, हम सभी संकल्प लेँ कि अधिक लोगों तक साधुओं या परमेश्वर की प्रेरणा फैलाकर उनके जीवन सुधारने का प्रयास करेंगे। इसका फल अनंत होगा, इसका पुण्य अनमोल होगा, इसका आशीर्वाद जीवनभर साथ देगा, यहाँ तक कि परलोक तक इसका सुख साथ जाएगा।
जय श्री सतगुरुदेव जी! जय परमेश्वर!
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