क्या आपकी पूजा सही है? प्रमाण से जानिए – संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से

 


आज दुनिया में करोड़ों लोग पूजा-पाठ, व्रत-उपवास और धार्मिक रीति-रिवाज़ों का पालन कर रहे हैं, लेकिन प्रश्न यह है कि – क्या हमारी पूजा सही है? क्या वह पूजा हमें मोक्ष दिला सकती है? क्या वह पूजा धर्मग्रंथों के अनुसार है? यही बात संत रामपाल जी महाराज ने पूरे प्रमाणों के साथ समझाई है।

📖 धर्मग्रंथ क्या कहते हैं?

हम जो भी पूजा करते हैं, उसका आधार हमारे पवित्र ग्रंथ होने चाहिए – जैसे कि वेद, गीता, कुरान, बाइबिल आदि। लेकिन दुर्भाग्यवश, आज बहुत सी पूजा-पद्धतियाँ इन ग्रंथों के विरुद्ध हैं। गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में स्पष्ट कहा गया है कि जो मनमानी पूजा करता है, वह न तो सिद्धि प्राप्त करता है, न मोक्ष।

🧘‍♂️ मनमानी पूजा क्या है?

जैसे – शिवलिंग पर जल चढ़ाना, पीपल की पूजा करना, व्रत रखकर भूखा रहना, मृतकों के नाम पर तर्पण करना आदि। यह सभी क्रियाएं वेदों और गीता के विरुद्ध हैं। जब भगवान ने इनका आदेश ही नहीं दिया, तो इनसे पुण्य कैसे मिलेगा?

🕉️ सच्ची पूजा की पहचान

संत रामपाल जी महाराज ने बताया है कि सच्ची भक्ति वह है जो स्वयं पूर्ण परमात्मा द्वारा दी गई हो। उनके अनुसार –

  • गुरु पूर्ण संत होना चाहिए, जो वेदों और शास्त्रों से प्रमाण देकर बताए

  • नाम दीक्षा वेदों में वर्णित तीन चरणों की होनी चाहिए

  • पूजा पद्धति अहिंसक और सात्विक होनी चाहिए

  • साधक को पाँच विकारों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार) से दूर रहना होगा

✅ प्रमाणों से सिद्ध ज्ञान

संत रामपाल जी महाराज ने गीता, वेद, पुराण, कुरान और बाइबिल से प्रमाण प्रस्तुत करके सिद्ध किया है कि सच्चा नाम 'सतनाम' और 'सारनाम' है, जो केवल पूर्ण सतगुरु ही दे सकता है। यही भक्ति मोक्ष दिला सकती है।

उदाहरण के तौर पर –
🔹 यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 10 में कहा गया है कि अज्ञान रूपी अंधकार में जो मनुष्य देवताओं की पूजा करते हैं, वे और अधिक अंधकार में जाते हैं।
🔹 गीता अध्याय 7 श्लोक 12-15 में कहा गया है कि तीन गुणों वाली देवी-देवताओं की पूजा करने वाले मूर्ख हैं।

📢 निष्कर्ष

अगर आपकी पूजा आपके धर्मग्रंथों के अनुसार नहीं है, तो वह सिर्फ मेहनत है, लाभ नहीं। अब समय है जागने का। एक बार संत रामपाल जी महाराज का सत्संग अवश्य सुनें, क्योंकि वे केवल भावनाओं की नहीं, प्रमाणों की बात करते हैं।

👉 आज ही जानिए – क्या आपकी पूजा सही है या सिर्फ एक परंपरा? क्योंकि अब मोक्ष सिर्फ भावना से नहीं, प्रमाण से मिलेगा।

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