संत रामपाल जी महाराज का संदेश इस प्रश्न का उत्तर देता है। वे बताते हैं कि जीवन का असली मकसद केवल सांसारिक सुख–सुविधाएँ जुटाना नहीं है, बल्कि परमात्मा की भक्ति करके जन्म–मरण के चक्र से मुक्ति पाना है।
सांसारिक जीवन का चक्र
- पढ़ाई – हर बच्चा जन्म के बाद शिक्षा प्राप्त करता है। माता–पिता का पहला लक्ष्य यही होता है कि बच्चा पढ़–लिखकर अच्छा इंसान बने और भविष्य सुरक्षित करे।
- पैसा – पढ़ाई पूरी होते ही जीवन का अगला चरण पैसा कमाने का होता है। नौकरी, व्यापार या किसी भी साधन से इंसान धन अर्जित करता है।
- परिवार – विवाह और संतान के बाद जिम्मेदारियाँ बढ़ जाती हैं। परिवार की देखभाल, बच्चों की पढ़ाई, घर–गृहस्थी का बोझ जीवन का बड़ा हिस्सा ले लेता है।
- सैर–सपाटा – जब थोड़ा समय और पैसा मिलता है तो लोग घूमने–फिरने, मौज–मस्ती करने में लग जाते हैं।
- मृत्यु – अंततः चाहे कितना भी धन, परिवार या सुख–सुविधाएँ हों, मृत्यु सबको अपने साथ ले जाती है।
यह चक्र हर इंसान की जिंदगी में दोहराया जाता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यही जीवन का अंतिम सत्य है?
संत रामपाल जी महाराज का दृष्टिकोण
संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि यह जीवन केवल भौतिक सुखों तक सीमित नहीं है। यदि इंसान केवल पढ़ाई, पैसा, परिवार और मृत्यु तक ही सीमित रह जाए तो यह जीवन अधूरा है।
उनका संदेश है कि:
- मनुष्य जीवन परमात्मा की भक्ति के लिए मिला है।
- यह जीवन बहुत दुर्लभ है और केवल इसी में मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।
- यदि इंसान केवल सांसारिक कार्यों में उलझा रहा तो मृत्यु के बाद उसे पुनः जन्म लेना पड़ेगा और दुखों का चक्र चलता रहेगा।
जीवन का असली उद्देश्य
संत रामपाल जी महाराज के अनुसार जीवन का असली उद्देश्य है:
- सच्चे परमात्मा की पहचान करना
- सही संत से नाम–दीक्षा लेना
- सतभक्ति करना
- जन्म–मरण के चक्र से मुक्ति पाना
वे बताते हैं कि केवल परमात्मा कबीर साहेब ही सृष्टि के रचयिता हैं और उन्हीं की भक्ति से मोक्ष संभव है।
सांसारिक सुखों की सीमाएँ
- पढ़ाई – शिक्षा जरूरी है, लेकिन यह केवल रोज़गार और जीवनयापन का साधन है। यह आत्मा को शांति नहीं दे सकती।
- पैसा – धन से भौतिक सुख खरीदे जा सकते हैं, लेकिन अमन–चैन और अमरता नहीं।
- परिवार – परिवार जीवन का हिस्सा है, लेकिन मृत्यु के समय कोई साथ नहीं जाता।
- सैर–सपाटा – घूमना–फिरना क्षणिक आनंद देता है, लेकिन स्थायी सुख नहीं।
- मृत्यु – यह जीवन का अंत है, लेकिन आत्मा का नहीं। आत्मा पुनः जन्म लेती है।
संत रामपाल जी महाराज का सच्चा संदेश
- सच्ची भक्ति ही समाधान है – केवल परमात्मा की भक्ति से ही आत्मा को शांति और मुक्ति मिल सकती है।
- सही गुरु की पहचान – वे बताते हैं कि केवल तत्त्वदर्शी संत ही सही मार्ग दिखा सकता है।
- सतलोक की प्राप्ति – भक्ति करने से आत्मा सतलोक पहुँचती है, जहाँ न जन्म है, न मृत्यु, न दुख।
- कर्मों का बंधन समाप्त – सही भक्ति से पिछले जन्मों के पाप कटते हैं और आत्मा मुक्त होती है।
क्यों जरूरी है संत रामपाल जी महाराज का संदेश?
आज का इंसान भौतिकता में इतना उलझ गया है कि जीवन का असली उद्देश्य भूल गया है। लोग मानते हैं कि पैसा और सुख ही सबकुछ है, लेकिन मृत्यु के समय सब व्यर्थ हो जाता है।
संत रामपाल जी महाराज का संदेश इंसान को याद दिलाता है कि:
- जीवन क्षणभंगुर है।
- असली सुख केवल परमात्मा की शरण में है।
- यदि अभी भक्ति नहीं की तो मृत्यु के बाद अवसर नहीं मिलेगा।
निष्कर्ष
जीवन केवल पढ़ाई, पैसा, परिवार, सैर और मृत्यु तक सीमित नहीं है। यह तो हर जीव करता है। मनुष्य जीवन का असली उद्देश्य है परमात्मा की भक्ति करके जन्म–मरण के चक्र से मुक्ति पाना।
संत रामपाल जी महाराज का सच्चा संदेश यही है कि इंसान को अभी से सही भक्ति शुरू करनी चाहिए। तभी जीवन सफल होगा और आत्मा को शाश्वत सुख मिलेगा।
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