कोविड-19 में डर: लोगों ने भगवान को पुकारा या पैसे को?

 


संत रामपाल जी महाराज जी के विचारों पर आधारित

भूमिका

कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया। यह एक ऐसा समय था जब विज्ञान, तकनीक, धन और संसाधनों के बावजूद मानवता असहाय महसूस कर रही थी। अस्पतालों में जगह नहीं थी, ऑक्सीजन की कमी थी, दवाइयाँ उपलब्ध नहीं थीं, और हर तरफ भय का माहौल था। ऐसे कठिन समय में लोगों के मन में यह सवाल बार-बार उठ रहा था—क्या पैसा सब कुछ है या भगवान ही अंतिम सहारा हैं? संत रामपाल जी महाराज जी के उपदेशों के अनुसार, इस प्रश्न का उत्तर गहराई से समझना आवश्यक है।


कोविड-19: भय और असहायता का समय

कोविड-19 के दौरान लोगों ने देखा कि कैसे एक अदृश्य वायरस ने पूरी मानवता को घुटनों पर ला दिया। बड़े-बड़े धनवान, अधिकारी, और आम नागरिक—सब एक ही कतार में खड़े थे। अस्पतालों के बाहर लंबी-लंबी लाइनें, ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए मारामारी, और दवाइयों की कालाबाजारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि पैसा भी हर समस्या का हल नहीं है। कई बार ऐसा हुआ कि लाखों-करोड़ों रुपये होने के बावजूद लोग अपनों की जान नहीं बचा सके।


पैसे की सीमाएँ

संत रामपाल जी महाराज जी के अनुसार, धन केवल भौतिक सुख-सुविधाएँ प्रदान कर सकता है, लेकिन जीवन और मृत्यु के प्रश्न पर यह असहाय हो जाता है। कोविड-19 के समय यह बात बार-बार सिद्ध हुई। कई अमीर लोग भी अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन या सही इलाज के लिए तरसते रहे। पैसे से दवा खरीदी जा सकती है, लेकिन जीवन नहीं। संत रामपाल जी महाराज जी अपने सत्संगों में बार-बार समझाते हैं कि धन का मोह हमें असली सत्य से दूर कर देता है। जब संकट आता है, तब मनुष्य को समझ में आता है कि असली सहारा केवल परमात्मा है।


भगवान की शरण में शांति

कोविड-19 के समय जब हर तरफ भय और निराशा का माहौल था, तब लाखों-करोड़ों लोगों ने भगवान को पुकारा। मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे—हर जगह लोग प्रार्थना करने लगे। सोशल मीडिया पर भी लोग एक-दूसरे से दुआ करने की अपील करने लगे। संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायी भी इस समय में सच्चे नाम की भक्ति और सत्संग के माध्यम से परमात्मा की शरण में रहे। संत जी के अनुसार, केवल सच्चे संत से प्राप्त नाम दीक्षा और सच्ची भक्ति ही संकट के समय में वास्तविक सुरक्षा प्रदान करती है।


संत रामपाल जी महाराज जी का संदेश

संत रामपाल जी महाराज जी ने अपने सत्संगों में स्पष्ट रूप से बताया है कि मनुष्य का असली सहारा केवल परमात्मा है। जब तक मनुष्य धन, पद, प्रतिष्ठा, और संसाधनों पर निर्भर रहता है, तब तक वह असली शांति और सुरक्षा प्राप्त नहीं कर सकता। कोविड-19 के समय यह बात और भी स्पष्ट हो गई। संत जी के अनुसार, सच्चे संत की शरण में जाकर, सच्चे नाम का जाप करने से ही मनुष्य को वास्तविक सुख, शांति और सुरक्षा मिलती है।


अनुभव और उदाहरण

कोविड-19 के समय कई ऐसे उदाहरण सामने आए, जहाँ लोगों ने पैसे के बल पर सब कुछ करने की कोशिश की, लेकिन अंत में उन्हें भगवान की शरण में ही शांति मिली। कई परिवारों ने बताया कि जब सारे प्रयास विफल हो गए, तब उन्होंने प्रार्थना की और चमत्कारिक रूप से राहत मिली। संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायियों ने भी बताया कि सत्संग सुनने और नाम जाप करने से उन्हें मानसिक शांति और सुरक्षा का अनुभव हुआ।


भक्ति का महत्व

संत रामपाल जी महाराज जी के अनुसार, केवल संकट के समय ही नहीं, बल्कि हर समय परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए। भक्ति से मनुष्य को आत्मबल, मानसिक शांति और जीवन के हर संकट से लड़ने की शक्ति मिलती है। कोविड-19 ने यह सिखाया कि जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज है—परमात्मा की कृपा। धन, पद, प्रतिष्ठा सब क्षणिक हैं, लेकिन भगवान की शरण में ही स्थायी सुख और सुरक्षा है।


समाज में बदलाव

कोविड-19 के बाद समाज में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। लोग पहले की तुलना में अधिक धार्मिक और आध्यात्मिक हो गए। संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संगों की लोकप्रियता भी इस दौरान बढ़ी। लोग समझने लगे कि केवल भौतिक साधनों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। जीवन में सच्ची शांति और सुरक्षा केवल परमात्मा की भक्ति से ही मिल सकती है।


संत रामपाल जी महाराज जी की शिक्षाएँ
  1. सच्चे संत की शरण: केवल सच्चे संत से प्राप्त नाम दीक्षा ही जीवन के संकटों से बचा सकती है।
  2. धन का मोह: धन केवल भौतिक सुख-सुविधाएँ दे सकता है, लेकिन जीवन और मृत्यु के प्रश्न पर असहाय है।
  3. भक्ति का महत्व: नियमित रूप से नाम जाप और सत्संग सुनना चाहिए।
  4. परमात्मा का सहारा: असली सहारा केवल परमात्मा है, बाकी सब क्षणिक है।
  5. संकट में धैर्य: संकट के समय घबराना नहीं चाहिए, बल्कि परमात्मा की शरण में रहना चाहिए।

निष्कर्ष

कोविड-19 महामारी ने पूरी मानवता को यह सिखाया कि पैसा सब कुछ नहीं है। जब जीवन और मृत्यु का प्रश्न सामने आता है, तब मनुष्य केवल परमात्मा को ही पुकारता है। संत रामपाल जी महाराज जी के अनुसार, असली सहारा केवल भगवान है। धन, पद, प्रतिष्ठा सब क्षणिक हैं, लेकिन परमात्मा की शरण में ही स्थायी सुख, शांति और सुरक्षा है। इसलिए, जीवन में हमेशा सच्चे संत की शरण लेकर, सच्चे नाम का जाप करना चाहिए। यही जीवन का असली उद्देश्य और सबसे बड़ा सहारा है।

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