रोग से मुक्ति: संत रामपाल जी महाराज के शिष्य का साक्षात्कार

 

परिचय

मनुष्य के जीवन में सबसे बड़ी पूंजी उसका स्वास्थ्य होता है। जब शरीर स्वस्थ होता है, तभी जीवन में सभी कार्य संभव होते हैं। लेकिन जब शरीर रोगग्रस्त हो जाता है, तो सुख, समृद्धि, धन और रिश्ते सभी फीके पड़ जाते हैं। आज के युग में लाखों लोग ऐसे असाध्य रोगों से पीड़ित हैं, जिनका समाधान आधुनिक विज्ञान और चिकित्सा व्यवस्था भी नहीं कर पाई है। परंतु ऐसे समय में यदि कोई व्यक्ति केवल ईश्वर की भक्ति से स्वस्थ हो जाए, तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा।

इस लेख में हम एक ऐसे ही चमत्कारी साक्षात्कार को प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसमें एक साधारण व्यक्ति ने संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर न केवल शारीरिक रोगों से मुक्ति पाई, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी प्राप्त की। यह साक्षात्कार उनके जीवन का एक सच्चा अनुभव है, जो न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि समाज के लिए एक संदेश भी है।


साक्षात्कार की शुरुआत

हमारे सामने बैठे हैं श्री रामेश्वर लाल (परिवर्तित नाम), जो हरियाणा के एक छोटे से गाँव के निवासी हैं। वे वर्षों से अस्थमा (दमा), उच्च रक्तचाप और माइग्रेन जैसी बीमारियों से पीड़ित थे। उन्होंने देश-विदेश के कई बड़े डॉक्टरों से इलाज कराया, आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी चिकित्सा भी अपनाई, परंतु रोग पूरी तरह ठीक नहीं हुआ। उनकी जीवनशैली बाधित हो गई थी। नौकरी छोड़नी पड़ी, और मानसिक रूप से वे पूरी तरह टूट चुके थे।

प्रश्न: आपको संत रामपाल जी महाराज के बारे में कैसे पता चला?

उत्तर:
"मैं बहुत परेशान हो चुका था। घर के हालात खराब हो चुके थे। दवा और इलाज में लाखों रुपये खर्च हो चुके थे। फिर एक दिन मेरे एक मित्र ने मुझे 'सतलोक आश्रम' के वीडियो दिखाए और 'जीने की राह' नामक पुस्तक दी। मैंने पहले तो विश्वास नहीं किया, पर जब मैंने सत्संग ध्यान से देखा और सच्चे संत की पहचान समझी, तब मेरी रुचि बढ़ी। कुछ ही समय बाद मैंने नाम दीक्षा ली।"

प्रश्न: नाम दीक्षा लेने के बाद क्या परिवर्तन हुआ?

उत्तर:
"संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने के बाद मुझे ऐसा लगा जैसे कोई अदृश्य शक्ति मुझे संभाल रही हो। पहले मैं दिनभर थका हुआ महसूस करता था, अब शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। मैंने उनके बताए अनुसार नियमों का पालन किया—मांस, मदिरा, तंबाकू और नशे से दूर हो गया। धीरे-धीरे मेरा दमा ठीक होने लगा। सांस फूलना बंद हो गया।"

"जो दवाएं मैं 10 वर्षों से ले रहा था, धीरे-धीरे बंद कर दी गईं। माइग्रेन की तकलीफ जो हर सप्ताह होती थी, अब महीनों नहीं होती। यह कोई साधारण बदलाव नहीं था। यह केवल और केवल सच्चे सतगुरु की कृपा थी।"


आध्यात्मिक अनुभव

रामेश्वर जी केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी बहुत राहत महसूस करते हैं। उन्होंने बताया कि पहले वे रात को नींद की गोलियां खाकर सोते थे, परंतु अब भजन-सुमिरन करते हुए आराम से नींद आती है।

"मैंने जीवन में पहली बार शांति का अनुभव किया। अब किसी चीज़ का डर नहीं लगता। गुरुदेव जी कहते हैं कि सच्चा भक्ति मार्ग ही जीवन का असली इलाज है और मैं इस कथन का साक्षात उदाहरण हूं।"


परिवार पर प्रभाव

उन्होंने बताया कि उनके परिवर्तनों को देखकर परिवार वाले भी प्रभावित हुए। पहले जहां घर में अशांति रहती थी, अब सभी सदस्य मिलकर सत्संग सुनते हैं और भक्ति करते हैं। उनके बच्चों की पढ़ाई में भी सुधार आया और अब पूरा परिवार संत रामपाल जी महाराज की शरण में है।

"हमारा घर पहले जैसे नरक बन चुका था। हर समय तनाव, बीमारी और कलह रहती थी। लेकिन अब हमारा घर एक सतलोक की झलक बन चुका है।"


क्या संत रामपाल जी महाराज कोई चमत्कार करते हैं?

इस प्रश्न पर रामेश्वर जी मुस्कराते हुए जवाब देते हैं:

"गुरुजी कोई तांत्रिक चमत्कार नहीं करते। वह केवल सच्चे भक्ति मार्ग की शिक्षा देते हैं। लेकिन जो नियम और सतभक्ति उन्होंने दी है, उसका प्रभाव हमारे जीवन में चमत्कारी होता है। उन्होंने हमें परमेश्वर कबीर जी की वास्तविक भक्ति दी, और वही भक्ति हमें रोगमुक्त कर रही है।"


चिकित्सा विज्ञान और भक्ति का अंतर

रामेश्वर जी कहते हैं:

"डॉक्टर केवल शारीरिक उपचार कर सकते हैं, लेकिन जो रोग आत्मा को लगते हैं, उनका इलाज केवल सच्चे संत के पास होता है। डॉक्टर की दवा सीमित है, लेकिन सतगुरु की कृपा असीम है।"


अन्य भक्तों की कहानियां

रामेश्वर जी जैसे हजारों-लाखों अनुयायी हैं जिन्हें कैंसर, हार्ट डिजीज, लकवा, डिप्रेशन, बांझपन जैसे असाध्य रोगों से छुटकारा मिला है। संत रामपाल जी महाराज के सत्संगों में ऐसी सैकड़ों गवाही उपलब्ध हैं, जिन्हें सुनकर कोई भी व्यक्ति प्रेरित हो सकता है।


भक्ति का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

संत रामपाल जी महाराज का भक्ति मार्ग पूरी तरह वैज्ञानिक है। वे सत्संग में कहते हैं कि—“सुमिरन एक ऐसी वाइब्रेशन है, जो शरीर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।”

उन्होंने भक्ति को अंधविश्वास से अलग किया है और तर्क, प्रमाण और वेदों के आधार पर समझाया है कि सच्चा ज्ञान क्या है।


नाम दीक्षा कैसे लें?

जो भी व्यक्ति इस चमत्कारी मार्ग को अपनाना चाहता है, वह संत रामपाल जी महाराज के अधिकृत YouTube चैनलों, वेबसाइट JagatGuruRampalJi.org या टोल फ्री नंबरों के माध्यम से संपर्क कर सकता है। नाम दीक्षा बिल्कुल निःशुल्क होती है और इसका उद्देश्य केवल आत्मा की मुक्ति है।


निष्कर्ष

इस साक्षात्कार के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि यदि सच्चे संत की शरण ली जाए, तो असंभव भी संभव हो सकता है। आज जिस युग में लाखों लोग इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं, वहां संत रामपाल जी महाराज का भक्ति मार्ग एक नई आशा की किरण बनकर उभरा है।

श्री रामेश्वर जी का यह अनुभव केवल एक कहानी नहीं, बल्कि एक गवाही है कि सच्चा ईश्वर और सच्चा संत हमारे बीच उपस्थित हैं, बस हमें उन्हें पहचानने की ज़रूरत है।


संदेश

यदि आप या आपका कोई अपना किसी असाध्य रोग से पीड़ित है, जीवन में निराशा और तनाव है, तो एक बार संत रामपाल जी महाराज के सत्संग को अवश्य सुनें। हो सकता है, आपकी जिंदगी भी बदल जाए।


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