नशा छोड़ा, जीवन जीना सीखा

 

प्रस्तावना

हमारे समाज में नशा एक ऐसा विनाशकारी ज़हर बन चुका है, जो न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि उसका पूरा परिवार, सामाजिक प्रतिष्ठा और भविष्य भी बर्बाद कर देता है। लाखों लोग इस दलदल में फँसकर अपनी ज़िंदगी खो चुके हैं। लेकिन जो लोग सही मार्गदर्शन और सच्चे संत की शरण में आते हैं, उन्हें नशे और रोग से मुक्ति मिलती है। ऐसा ही एक उदाहरण हैं वे लोग जिन्होंने संत रामपाल जी महाराज की शरण लेकर नशा छोड़ा और जीवन को जीना सीखा।


नशा – एक धीमा ज़हर

नशा किसी भी रूप में हो – शराब, सिगरेट, तम्बाकू, गुटखा, अफीम, चरस, गांजा या कोई अन्य नशीला पदार्थ – यह शरीर को धीरे-धीरे भीतर से खोखला करता है। शुरुआत में यह कुछ पलों की खुशी देता है, लेकिन बाद में जीवनभर का पछतावा छोड़ जाता है।

नशे में व्यक्ति:

  • मानसिक संतुलन खो देता है

  • परिवार से दूर हो जाता है

  • आर्थिक रूप से तबाह हो जाता है

  • समाज में अपमान का पात्र बनता है

  • कई बार अपराध तक कर बैठता है

यह एक ऐसा चक्रव्यूह है जिससे निकल पाना कठिन है, लेकिन असंभव नहीं – संत रामपाल जी महाराज ने इस असंभव को संभव बना दिया।


नशा छोड़ने की प्रेरणा – संत रामपाल जी महाराज से

संत रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संगों में वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों आधारों पर यह सिद्ध किया है कि नशा आत्मा का शत्रु है। उन्होंने कहा है:

“नशा करने वाला व्यक्ति स्वयं को मार रहा होता है, और परमात्मा की भक्ति से वंचित हो जाता है।”

संत जी ने नामदीक्षा (Initiation) देकर लाखों लोगों को ऐसा आध्यात्मिक बल प्रदान किया है कि वे वर्षों पुरानी नशे की आदत को भी कुछ ही दिनों में छोड़ने में सफल हो गए।


एक सच्ची कहानी – “मुझे नया जन्म मिला”

मेरा नाम विनोद शर्मा है। मैं उत्तर प्रदेश के एक सामान्य परिवार से हूँ। मैंने कॉलेज के दिनों में दोस्तों के साथ शराब पीना शुरू किया। धीरे-धीरे ये आदत मेरी लत बन गई। मेरी नौकरी चली गई, परिवार टूटने की कगार पर था, और मैं एक जीते-जागते लाश की तरह हो गया था।

तभी किसी जानकार ने मुझे संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुनने की सलाह दी। शुरू में विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जब सत्संग सुना, तो ऐसा लगा जैसे मेरे अंदर कुछ बदल रहा है। मैंने नामदीक्षा ली और संत जी की बताई साधना विधि को अपनाया।

परिणाम?

  • 10 साल पुरानी शराब की लत कुछ ही दिनों में खत्म हो गई

  • मन शांत हो गया

  • शरीर स्वस्थ रहने लगा

  • परिवार में प्रेम बढ़ा

  • अब मैं समाज सेवा करता हूँ और दूसरों को भी नशा छोड़ने की प्रेरणा देता हूँ

मैंने सच में जीवन जीना सीखा – नशा छोड़कर।


नशा छोड़ने से जीवन में क्या बदलाव आता है?

1. स्वास्थ्य लाभ

नशा छोड़ने के बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। सांस की बीमारियाँ, लीवर की समस्या, मानसिक तनाव आदि से मुक्ति मिलती है।

2. मानसिक शांति

सत्संग और साधना से मन एकाग्र होता है। विचार सकारात्मक होते हैं। क्रोध, लोभ, मोह पर नियंत्रण होता है।

3. आर्थिक उन्नति

जो पैसा पहले नशे में बर्बाद होता था, वह अब सही जगह उपयोग होता है – जैसे बच्चों की पढ़ाई, घर की जरूरतें और सेविंग्स।

4. पारिवारिक सुख

परिवार में लड़ाई-झगड़े की जगह अब प्रेम और समझदारी होती है। पत्नी, बच्चे और माता-पिता सब प्रसन्न रहते हैं।

5. आध्यात्मिक विकास

सच्चे संत के मार्गदर्शन में साधना करके आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का रास्ता खुलता है।


संत रामपाल जी महाराज की विशेषता

  • संत रामपाल जी ने किसी भी नशे को धर्म में स्वीकार नहीं किया।

  • उन्होंने पवित्र वेदों, श्रीमद्भगवद् गीता, कबीर साहेब की वाणी के प्रमाणों से यह सिद्ध किया कि नशा करना पूर्ण रूप से पाप है।

  • वे ना केवल नशा छुड़वाते हैं, बल्कि भक्तों को पूर्ण ब्रह्म की प्राप्ति का मार्ग दिखाते हैं।


नामदीक्षा कैसे लें?

नामदीक्षा लेने के लिए Sant Rampal Ji Maharaj द्वारा अधिकृत Satlok Ashram YouTube Channel या वेबसाइट www.jagatgururampalji.org पर जाएं। वहाँ से आप नामदीक्षा के लिए संपर्क कर सकते हैं। नामदीक्षा बिल्कुल निःशुल्क होती है।


आज नशा छोड़ें, कल जीवन जीएं

अगर आप या आपका कोई अपना नशे की गिरफ्त में है, तो अभी भी समय है। सच्चे संत की शरण में जाकर आप:

  • नशे से आज़ादी पा सकते हैं

  • रोगों से मुक्ति पा सकते हैं

  • जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं

  • आत्मा का कल्याण कर सकते हैं


निष्कर्ष

“नशा छोड़ा, जीवन जीना सीखा” केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि हजारों-लाखों लोगों की सच्ची जीवनगाथा है। संत रामपाल जी महाराज के अद्भुत सत्संग, सतनाम और साधना ने उन्हें नया जन्म दिया है। जिनकी ज़िंदगी अंधेरे में थी, उन्हें अब प्रकाश मिला है।

अब फैसला आपके हाथ में है –
क्या आप भी नशे की ज़ंजीरों से आज़ादी चाहते हैं?
क्या आप भी जीवन को नए रंगों से भरना चाहते हैं?

तो आइए, संत रामपाल जी महाराज की शरण में आइए – और कहिए:

"अब नशा नहीं, भक्ति चाहिए!"

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